भारत की राष्ट्रीय टेनिस चैंपियन वैदेही चौधरी का मानना है कि माया राजेश्वरन रेवती की शानदार प्रगति भारतीय महिला टेनिस के लिए नए दरवाजे खोलेगी।
15 साल की माया ने टेनिस जगत में मचाई हलचल
माया राजेश्वरन रेवती भारतीय टेनिस में एक नई उम्मीद बनकर उभरी हैं। उनकी सफलता कई युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा बन रही है। हाल ही में मुंबई में हुए WTA 125 मुंबई ओपन में महज 15 साल की उम्र में सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली इस कोयंबटूर की खिलाड़ी को वैदेही चौधरी भारत की अगली बड़ी टेनिस स्टार मानती हैं।
“वह निश्चित रूप से अगली सुपरस्टार बनने जा रही हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। वह कुछ भी कर सकती हैं क्योंकि वह अभी सिर्फ 15 साल की हैं,” वैदेही ने यह बात राष्ट्रीय खेलों में महिला सिंगल्स फाइनल में जगह बनाने के बाद कही।
चार महीने पहले आमने-सामने थीं माया और वैदेही
वैदेही ने माया को बहुत करीब से खेलते देखा है। चार महीने पहले नई दिल्ली में फेनेस्टा नेशनल्स के महिला सिंगल्स फाइनल में वे आमने-सामने थीं, जहां वैदेही ने माया को 6-3, 6-3 से हराया था।
“माया का टैलेंट अविश्वसनीय है। और अब वह लगातार बेहतर होती जा रही हैं,” 24 वर्षीय वैदेही ने कहा।
माया की आत्मविश्वास और जुझारूपन की तारीफ
वैदेही ने माया की मानसिक मजबूती और खेल की समझ की जमकर सराहना की।
“वह 15 साल की उम्र में ही काफी आत्मविश्वासी हैं। मैंने इस उम्र में इतनी कॉन्फिडेंट खिलाड़ी पहले कभी नहीं देखी। उनमें लड़ने का जुनून है, वह हार नहीं मानतीं।”
“अगर वह 0-5 से भी पीछे हों, तब भी लड़ाई जारी रखती हैं। उनका कोर्ट कवरेज शानदार है, उनमें जबरदस्त जुझारूपन है और उनके मूवमेंट और स्ट्रोक्स बहुत प्रभावशाली हैं। उनकी सर्विस भी अच्छी है। माया का खेल देखकर गर्व महसूस होता है और यह अच्छा संकेत है कि भारत में अच्छे टेनिस खिलाड़ी उभर रहे हैं।”
माया की सफलता से महिला टेनिस को मिलेगा बढ़ावा
वैदेही ने भारतीय महिला टेनिस के भविष्य को लेकर भी अपनी राय रखी।
“पहले हमें लगता था कि हमारी पीढ़ी के बाद कोई खिलाड़ी नहीं आएगा। लेकिन अब माया जैसा टैलेंट सामने आ रहा है। मैंने 12 साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया और मैंने सानिया मिर्जा को उनके करियर के चरम पर नहीं देखा। लेकिन अब मुझे खुशी है कि मेरे पास कोई ऐसी खिलाड़ी है जिसे मैं ऊंचाइयों तक जाते देख सकती हूं,” दो बार की राष्ट्रीय चैंपियन और वर्ल्ड स्कूल्स गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट वैदेही ने कहा।
सानिया मिर्जा 2007 में महिला विश्व रैंकिंग में 27वें स्थान तक पहुंची थीं। अब माया के पास अपने करियर में उनसे भी आगे निकलने का पर्याप्त समय है। उन्हें स्पेन के राफा नडाल अकादमी में 100% स्कॉलरशिप मिली है, जिससे उनके खेल में और निखार आने की उम्मीद है।
“हर कोई उनकी सफलता की चर्चा कर रहा है। यह भारतीय महिला टेनिस के लिए अच्छा संकेत है। हमें भारत में अधिक महिला टेनिस टूर्नामेंट आयोजित करने चाहिए क्योंकि यह एक महंगा खेल है। विदेशों में खेलने के लिए हमें भारी खर्च करना पड़ता है,” वैदेही ने कहा।
निष्कर्ष
माया राजेश्वरन रेवती भारतीय टेनिस के भविष्य की एक नई रोशनी बनकर उभर रही हैं। उनके आत्मविश्वास, कौशल और जुझारूपन ने उन्हें कम उम्र में ही ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। उनकी सफलता से महिला टेनिस को भी बढ़ावा मिलेगा और आने वाले वर्षों में भारत से और भी बेहतरीन खिलाड़ी निकलकर सामने आएंगे।
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